आधुनिक हिंदी का इतिहास नई परिस्थिति और परिवेश के कारण साहित्य, संगीत और कला को भी संकट का सामना करना पड़ा। उनको आश्रय देने वाले केन्द्र तेजी से टूटने लगे थे। कला-संगीत तो विशेष घरानों से सम्बद्ध हुआ करते थे। ये घराने पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनकी रक्षा में संलग्र रहा करते थे। इन घरानों के संरक्षण का दायित्व सामन्त वर्ग पर था। ...
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Modernism in Hindi Literature
आधुनिक हिंदी का इतिहासआधुनिकता हिन्दी साहित्य का पिछला दशक (१६६०-७०) आधुनिकता से विशेष प्रभावित है। आधुनिक और आधुनिकता में अन्तर है। ‘आधुनिक’ ‘मध्यकालीन’ से अलग होने की सूचना देता है। ‘आधुनिक’ वैज्ञानिक आविष्कारों और औद्योगीकरण का परिणाम है जब कि “आधुनिकता” औद्योगीकरण की अतिशयता, महानगरीय एकरसता, दो महायुद्धों की विभीषिका का फल है। वस्तुतः नवीन ज्ञान-विज्ञान, टेक्नोलॉजी के फलस्वरूप उत्पन्न ...
Read More »State of changes In History of modern Hindi
आधुनिक हिंदी का इतिहासबदलाव की स्थिति कोई भी बदलाव यों ही नहीं आता, बल्कि उसके कुछ कारण होते हैं। दो संस्कृतियों का अन्तरावलंबन परिवर्तन के लिए उतना कारगर नहीं होता जितना समाज के बुनियादी ढाँचे को बदलने वाले आर्थिक कारण। मुख्य कारण आर्थिक ही होता है; सांस्कृतिक गौण। यह बात दूसरी है कि कभी सांस्कृतिक कारण भी प्रधान हो उठता ...
Read More »Prose of Nath, Siddh and Niranjani
आधुनिक हिंदी का इतिहास खड़ीबोली में साहित्य की रचना १३वीं शताब्दी में शुरू हुई. उचद्योतन सूरि रचित कुबलयमाला कथा (७७८ ई०) में एक हाट प्रसंग का उल्लेख मिलता है। उसमें एक मध्यदेशीय वणिक के मुख से सुने हुए मेरे तेरे आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है। इससे पता लगता है कि खड़ीबोली मध्यप्रदेश की बोली है। इसके अतिरिक्त इसमें पुष्छह, ...
Read More »भारतीय जागरण (रैनेसां) : पश्चिम की चुनौती
आधुनिक हिंदी का इतिहास अंग्रेजी राज्य की स्थापना के कारण यहाँ की अर्थनीति में बुनियादी परिवर्तन आया। इसके फलस्वरूप धर्म, समाज, आचार-विचार की जड़ता को एक धक्का लगा। ईसाई मजहब की प्रगति के कारण हिन्दुओं, मुसलमानों की धर्म-संस्कृति की सुरक्षा का प्रश्न भी उठ खड़ा हुआ। ऐसी स्थिति में धार्मिक-सामाजिक परिष्कार की ओर लोगों का उन्मुख होना स्वाभाविक हो गया। ...
Read More »मध्यकालीनता से आधुनिकता की ओर
आधुनिक हिंदी का इतिहास यद्यपि अंग्रेजों ने इस देश में नयी अर्थ-व्यवस्था, औद्योगिकता, संचार-सुविधा, प्रेस आदि को अपने निजी स्वायों के लिए स्थापित किया फिर भी इससे इस देश का हित हुआ। एक स्थिर व्यवस्था से छूटकर देश को नूतन गत्यात्मकता का अनुभव हुआ। परम्पराएँ टूटने लगीं। नए परिवेश में, ऐतिहासिक माँग के फलस्वरूप, लोग अपने को नए ढंग से ...
Read More »History of Drama in Hindi Literature
नाटक नाटक दृश्य-श्रव्य काव्य है, इसलिए यह लोक-चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध है। जिस प्रथम प्रकरण का उल्लेख नाट्यशाखत्र में आता है उसके लेखन और अभिनय का मूल प्रेरक है–लोक चेतना। भारतेन्दु तथा उनके सहयोगियों ने इस चेतना के प्रसार के लिए नाटक को अत्यन्त उपयोगी माध्यम समझा। इसलिए स्वाभाविक था कि नाटकों में उस युग की अनेक समस्याओं को अभिव्यक्त ...
Read More »The Prose of Khadiboli
आधुनिक हिंदी का इतिहास खड़ीबोली का आरम्भिक गद्य अंग्रेजों के आगमन के पूर्व गाँव और नगर सामान्यतः अलग-अलग स्वतन्त्र इकाइयाँ थीं। उनके निवासियों को वस्तु-विनिमय के लिए प्रायः बाहर नहीं जाना पड़ता था। किन्तु पुरानी अर्थ-व्यवस्था के टूटने और यातायात के नये साधनों के उपलब्ध होने पर लोगों को जीविका अथवा वस्तु-विनिमय के लिए बाहर जाना पड़ा। इस तरह देश ...
Read More »Progressive and Experimentalism
प्रगतिवाद और प्रयोगवाद छायावाद के बाद 1936 में प्रगविवाद का प्रवर्तन हुआ और 1943 में प्रयोगवाद का। प्रगतिवादी साहित्य मार्क्स के सिद्धान्तों से प्रभावित साहित्य है। यह धारा जनवादी साहित्य या प्रगतिवादी साहित्य के नाम पर आज भी चल रही है। यह केवल साहित्यिक धारा नहीं है बल्कि राजनीति से भी इसका गहरा लगाव है। चूँकि आज की मानवीय संस्कृति ...
Read More »History of modern Hindi | Khadiboli in North India
आधुनिक हिंदी का इतिहास उत्तर भारत में खड़ीबोली दक्खिनी हिन्दी उत्तर भारत की हिन्दी से कुछ इतनी दूर थी कि एक का प्रभावदूसरे पर पड़ ही नहीं सकता था। यहाँ पर दक्खिनी हिन्दी के उल्लेख का मतलब था खड़ीबोली की प्राचीनता दिद्याना और उसके विकास के चरणों को रेखांकित करना। उत्तर भारत में खड़ीबोली अपने ढंग से विकसित हो रही ...
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